✨श्री सीताराम लक्ष्मण✨

 
✨श्री सीताराम लक्ष्मण✨
नाथ! कृपाही को पंथ चितवत दीन हौं दिनराति। होइ धौं केहि काल दीनदयालु! जानि न जाति।1। सगुन, ग्यान -बिराग-भगति, सु-साधननि की पाँति। भजे बिकल बिलोकि कलि अघ-अवगुननिकी थाति।2। अनि अनीति-कुरीति भइ भुइँ तरनि हू ते ताति। जाउँ कहँ? बलि जाउँ, कहूँ न ठाँउ, माति अकुलाति।3। आप सहित न आपनो कोउ, बाप! कठिन सुभाँति। स्यामधन! सींचिये तुलसी, सालि सफल सुखाति।4।
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