✨जय माँ सरस्वती✨ Happy Basant Panchami

 
✨जय माँ सरस्वती✨ Happy Basant Panchami
श्री सरस्वती चालीसा ॥दोहा॥ जनक जननि पद कमल रज, निज मस्तक पर धारि। बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥ पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु। रामसागर के पाप को, मातु तुही अब हन्तु॥ माता-पिता के चरणों की धूल मस्तक पर धारण करते हुए हे सरस्वती मां, आपकी वंदना करता हूं/करती हूं, हे दातारी मुझे बुद्धि की शक्ति दो। आपकी अमित और अनंत महिमा पूरे संसार में व्याप्त है। हे मां रामसागर (चालीसा लेखक) के पापों का हरण अब आप ही कर सकती हैं। ॥चौपाई॥ जय श्री सकल बुद्धि बलरासी। जय सर्वज्ञ अमर अविनासी॥ जय जय जय वीणाकर धारी। करती सदा सुहंस सवारी॥ रूप चतुर्भुजधारी माता। सकल विश्व अन्दर विख्याता॥ जग में पाप बुद्धि जब होती। जबहि धर्म की फीकी ज्योती॥ तबहि मातु ले निज अवतारा। पाप हीन करती महि तारा॥ बुद्धि का बल रखने वाली अर्थात समस्त ज्ञान शक्ति को रखने वाली हे सरस्वती मां, आपकी जय हो। सब कुछ जानने वाली, कभी न मरने वाली, कभी न नष्ट होने वाली मां सरस्वती, आपकी जय हो। अपने हाथों में वीणा धारण करने वाली व हंस की सवारी करने वाली माता सरस्वती आपकी जय हो। हे मां आपका चार भुजाओं वाला रुप पूरे संसार में प्रसिद्ध है। जब-जब इस दुनिया में पाप बुद्धि अर्थात विनाशकारी और अपवित्र वैचारिक कृत्यों का चलन बढता है तो धर्म की ज्योति फीकी हो जाती है। हे मां तब आप अवतार रुप धारण करती हैं व इस धरती को पाप मुक्त करती हैं। बाल्मीकि जी थे हत्यारा। तव प्रसाद जानै संसारा॥ रामायण जो रचे बनाई। आदि कवी की पदवी पाई॥ कालिदास जो भये विख्याता। तेरी कृपा दृष्टि से माता॥ तुलसी सूर आदि विद्धाना। भये और जो ज्ञानी नाना॥ तिन्हहिं न और रहेउ अवलम्बा। केवल कृपा आपकी अम्बा॥ हे मां सरस्वती, जो वाल्मीकि जी हत्यारे हुआ करते थे, उनको आपसे जो प्रसाद मिला, उसे पूरा संसार जानता है। आपकी दया दृष्टि से रामायण की रचना कर उन्होंनें आदि कवि की पदवी प्राप्त की। हे मां आपकी कृपा दृष्टि से ही कालिदास जी प्रसिद्ध हुये। तुलसीदास, सूरदास जैसे विद्वान और भी कितने ही ज्ञानी हुए हैं, उन्हें और किसी का सहारा नहीं था, ये सब केवल आपकी ही कृपा से विद्वान हुए मां। (सरस्वती मां को बुद्धि व ज्ञान की देवी कहते हैं, इसलिए संसार में बुद्धि से, ज्ञान से, वाणी से, संगीत से जिन्होंनें जितनी उपलब्धियां हासिल की हैं, सब मां सरस्वती की कृपा मानी जाती है।) करहु कृपा सोइ मातु भवानी। दुखित दीन निज दासहि जानी॥ पुत्र करै अपराध बहूता। तेहि न धरइ चित सुन्दर माता॥ राखु लाज जननी अब मेरी। विनय करूं बहु भांति घनेरी॥ मैं अनाथ तेरी अवलंबा। कृपा करउ जय जय जगदंबा॥ हे मां भवानी, उसी तरह मुझ जैसे दीन दुखी को अपना दास जानकर अपनी कृपा करो। हे मां, पुत्र तो बहुत से अपराध, बहुत सी गलतियां करते रहते हैं, आप उन्हें अपने चित में धारण न करें अर्थात मेरी गलतियों को क्षमा करें, उन्हें भुला दें। हे मां मैं कई तरीके से आपकी प्रार्थना करता हूं, मेरी लाज रखना। मुझ अनाथ को सिर्फ आपका सहारा है। हे मां जगदंबा दया करना, आपकी जय हो, जय हो। मधु कैटभ जो अति बलवाना। बाहुयुद्ध विष्णू ते ठाना॥ समर हजार पांच में घोरा। फिर भी मुख उनसे नहिं मोरा॥ मातु सहाय भई तेहि काला। बुद्धि विपरीत करी खलहाला॥ तेहि ते मृत्यु भई खल केरी। पुरवहु मातु मनोरथ मेरी॥ चंड मुण्ड जो थे विख्याता। छण महुं संहारेउ तेहि माता॥ रक्तबीज से समरथ पापी। सुर-मुनि हृदय धरा सब कांपी॥ काटेउ सिर जिम कदली खम्बा। बार बार बिनवउं जगदंबा॥ जग प्रसिद्ध जो शुंभ निशुंभा। छिन में बधे ताहि तू अम्बा॥ मधु कैटभ जैसे शक्तिशाली दैत्यों ने भगवान विष्णू से जब युद्ध करने की ठानी, तो पांच हजार साल तक युद्ध करने के बाद भी विष्णु भगवान उन्हें नहीं मार सके। हें मां तब आपने ही भगवान विष्णु की मदद की और राक्षसों की बुद्धि उलट दी। इस प्रकार उन राक्षसों का वध हुआ। हे मां मेरा मनोरथ भी पूरा करो। चंड-मुंड जैसे विख्यात राक्षस का संहार भी आपने क्षण में कर दिया। रक्तबीज जैसे ताकतवर पापी जिनसे देवता, ऋषि-मुनि सहित पूरी पृथ्वी भय से कांपने लगी थी। हे मां आपने उस दुष्ट का शीष बड़ी ही आसानी से काट कर केले की तरह खा लिया। हे मां जगदंबा मैं बार-बार आपकी प्रार्थना करता हूं, आपको नमन करता हूं। हे मां, पूरे संसार में महापापी के रुप विख्यात शुंभ-निशुंभ नामक राक्षसों का भी आपने एक पल में संहार कर दिया। भरत-मातु बुधि फेरेउ जाई। रामचंद्र बनवास कराई॥ एहि विधि रावन वध तुम कीन्हा। सुर नर मुनि सब कहुं सुख दीन्हा॥ को समरथ तव यश गुन गाना। निगम अनादि अनंत बखाना॥ विष्णु रूद्र अज सकहिं न मारी। जिनकी हो तुम रक्षाकारी॥ रक्त दन्तिका और शताक्षी। नाम अपार है दानव भक्षी॥ हे मां सरस्वती, आपने ही भरत की मां केकैयी की बुद्धि फेरकर भगवान श्री रामचंद्र को वनवास करवाया। इसी प्रकार रावण का वध भी आपने करवाकर देवताओं, मनुष्यों, ऋषि-मुनियों सबको सुख दिया। आपकी विजय गाथाएं तो अनादि काल से हैं, अनंत हैं इसलिए आपके यश का गुणगान करने का सामर्थ्य कोई नहीं रखता। जिनकी रक्षक बनकर आप खड़ी हों, उन्हें स्वयं भगवान विष्णु या फिर भगवान शिव भी नहीं मार सकते। रक्त दंतिका, शताक्षी, दानव भक्षी जैसे आपके अनेक नाम हैं। दुर्गम काज धरा पर कीन्हा। दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा॥ दुर्ग आदि हरनी तू माता। कृपा करहु जब जब सुखदाता॥ नृप कोपित जो मारन चाहै। कानन में घेरे मृग नाहै॥ सागर मध्य पोत के भंगे। अति तूफान नहिं कोऊ संगे॥ भूत प्रेत बाधा या दुःख में। हो दरिद्र अथवा संकट में॥ नाम जपे मंगल सब होई। संशय इसमें करइ न कोई॥ हे मां दुर्गम अर्थात मुश्किल से मुश्किल कार्यों को करने के कारण समस्त संसार ने आपको दुर्गा कहा। हे मां आप कष्टों का हरण करने वाली हैं, आप जब भी कृपा करती हैं, सुख की प्राप्ती होती है, अर्थात सुख देती हैं। जब कोई राजा क्रोधित होकर मारना चाहता हो, या फिर जंगल में खूंखार जानवरों से घिरे हों, या फिर समुद्र के बीच जब साथ कोई न हो और तूफान से घिर जाएं, भूत प्रेत सताते हों या फिर गरीबी अथवा किसी भी प्रकार के कष्ट सताते हों, हे मां आपका नाप जपते ही सब कुछ ठीक हो जाता है इसमें कोई संदेह नहीं है अर्थात इसमें कोई शक नहीं है कि आपका नाम जपने से बड़े से बड़ा संकट भी टल जाता है, दूर हो जाता है। पुत्रहीन जो आतुर भाई। सबै छांड़ि पूजें एहि माई॥ करै पाठ नित यह चालीसा। होय पुत्र सुन्दर गुण ईसा॥ धूपादिक नैवेद्य चढावै। संकट रहित अवश्य हो जावै॥ भक्ति मातु की करै हमेशा। निकट न आवै ताहि कलेशा॥ बंदी पाठ करें शत बारा। बंदी पाश दूर हो सारा॥ करहु कृपा भवमुक्ति भवानी। मो कहं दास सदा निज जानी॥ जो संतानहीन हैं, वे और सब को छोड़कर आप माता की पूजा करें और हर रोज इस चालीसा का पाठ करें, तो उन्हें गुणवान व सुंदर संतान की प्राप्ति होगी। साथ ही माता पर धूप आदि नैवेद्य चढ़ाने से सारे संकट दूर हो जाते हैं। जो भी माता की भक्ति करता है, कष्ट उसके पास नहीं फटकते अर्थात किसी प्रकार का दुख उनके करीब नहीं आता। जो भी सौ बार बंदी पाठ करता है, उसके बंदी पाश दूर हो जाते हैं। हे माता भवानी सदा अपना दास समझकर, मुझ पर कृपा करें व इस भवसागर से मुक्ति दें। ॥दोहा॥ माता सूरज कान्ति तव, अंधकार मम रूप। डूबन ते रक्षा करहु, परूं न मैं भव-कूप॥ बल बुद्धि विद्या देहुं मोहि, सुनहु सरस्वति मातु। अधम रामसागरहिं तुम, आश्रय देउ पुनातु॥ हे मां आपकी दमक सूर्य के समान है, तो मेरा रूप अंधकार जैसा है। मुझे भवसागर रुपी कुंए में डूबने से बचाओ। हे मां सरस्वती मुझे बल, बुद्धि और विद्या का दान दीजिये। हे मां इस पापी रामसागर को अपना आश्रय देकर पवित्र करें।
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shwetashweta
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Comentarios

Arinu

Arinu dice:

hace 1870 días
Perfect!
4r13s

4r13s dice:

hace 1871 días
Gorgeous ♥
anime___lovers

anime___lovers dice:

hace 1872 días
   /l、
(゚、 。 7 - ☆F☆A☆B☆U☆L☆O☆U☆S☆
 l、 ~ヽ  
 じしf_, )
jacqueline126

jacqueline126 dice:

hace 1872 días
...,-***-,✿             
..("( °_° )        ᗰerVЄillЄԱx .....
✿.(")..(").✿   MAGNIFIQUE.... !
⑤ˢᵗᵃʳˢ pOur tOi mOn aMꀧє☆♥  
Mєrcí pσur tєs GENTIL cσmmєntαírєs,
ET TES VOTES,,,,,,, 

niki.g_2011

niki.g_2011 dice:

hace 1873 días
What a beauty ... !!!!!!!!!!!!! Great !!!!!!!!!
blinker1968

blinker1968 dice:

hace 1873 días
✿ Thanks for this add in my group of flower lovers and for all your adds in the future ♥
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m1a6c

m1a6c dice:

hace 1873 días
✿◡‿◡✿◡‿◡✿◡‿◡✿◡‿◡✿
thank a lot my friend
for the many votes
and comments
✿◡‿◡✿◡‿◡✿◡‿◡✿◡‿◡✿
siemprejuntas2

siemprejuntas2 dice:

hace 1874 días
Amazing creation !!!
..............very nice!(◠‿◠✿) 
★⋰⋱★⋰⋱★FaNtAsTiC!⋰⋱★⋰⋱★⋰
          ♥5☆★☆★☆

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