☀जय श्री राम☀
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राम जपु, राम जपु, राम जपु, बावरे।
घोर भव-नीर-निधि नाम निज नाव रे।।
एक ही साधन सब रिद्वि -सिद्वि साधि रे।
ग्रसे कलि-रोग जोग -संजम-समाधि रे।।
भलेा जो है, पोच जो है, दहिनो जो, बाम रे।
राम-नाम ही सों अंत सब ही को काम रे।।
जग नभ-बाटिका रही है फलि फूलि रे।
धुंवाँ कैसे धौरहर देखि तू न भूलि रे।।
राम-नाम छाड़ि जो भरोसो करै और रे।
तुलसी परोसो त्यागि माँगै कूर कौन रे।।
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