☀जय श्री राम☀

 
☀जय श्री राम☀
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देव- दीनको दयालु, दानि दूसरो न कोऊ। जाहि दीनता कहैां हौं देखौं दीन सोऊ।। सुर, नर, मुनि, असुर, नाग, साहिब तौ घनेरे। पै तौ लौं जौ लौं रावरे न नेकु नयन फेरे।। त्रिभुवन, तिहुँ काल बिदित, बेद बदति चारी। आदि-अंत-मध्य राम! सहबी तिहारी।। तोहि माँगि माँगनो न माँगनो कहायो। सुनि सुभाव-सील-सुजसु जाचन जन आयो।। पाहन-पसु बिटप- बिहँग अपने करि लीन्हे। महाराज दसरथके! श्रंक राय कीन्हें।। तू गरीबको निवाज, हौं गरीब तेरो। बारक कहिये कृपालु! त्ुलसिदास मेरो।।
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