❤श्री युगल सरकार❤

 
❤श्री युगल सरकार❤
देखौ री या मुकुट की लटकन। रास किये निरतत राधे संग, नूपुर काँत पायल की पटकन॥ पीताम्बर छूट जाय छिनहिं छिन बैजन्ती बेसर की अटकन। सूर श्याम की या छबि ऊपर झूठो ज्ञान योग में भटकन॥❤ सुघर राधिका प्रवीन बीना, वर रास रच्यो, स्याम संग वर सुढंग तरनि तनया तीरे। आनंदकंद वृंदावन सरद मंद मंद पवन, कुसुमपुंज तापदवन, धुनित कल कुटीरे रुनित किंकनी सुचारु, नूपुर तिमि बलय हारु, अंग बर मृदंग ताल तरल रंग भीरे गावत अति रंग रह्यो, मोपै नहिं जात कह्यो, व्यास रसप्रवाह बह्यो निरखि नैन सीरे❤आज कछु कुंजन में बरषा सी। बादल दल में देखि सखी री! चमकति है चपला सी। नान्हीं नान्हीं बूँदन कछु धुरवा से, पवन बहै सुखरासी मंद मंद गरजनि सी सुनियतु, नाचति मोरसभा सी। इंद्रधानुष बगपंगति डोलति, बोलति कोककला सी इंद्रबधू छबि छाइ रही मनु, गिरि पर अरुनघटा सी उमगि महीरुह स्यों महि फूली, भूली मृगमाला सी। रटति प्यास चातक ज्यों रसना, रस पीवत हू प्यासी
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