❤श्री राधा वृन्दावनबिहारी❤

 
❤श्री राधा वृन्दावनबिहारी❤
Este carimbo foi usado 31 vezes
जबते सुनी मैय्या जशोदा की ,वृषभानु लली झूलन कूबुलाई।हाथ हाथ कूदे लौ मोहन,आनंद सिंधु ह्रदय न समाई। बैठ सखियन सो करी बिनती ,कहै श्यामा कू कोउ किजौ युक्ती। जो संग झूलू नंदभवन तिहारे ,और भेद न जान पावै जेकोई। कही सखी सुनो ब्रजराजदुलारी ,सखी बना लै चलिहौ मोहन कू। पूछै जो मैय्या अति भौरी ,सखी दूजै गाम सो आयी बताई। लौ मोहनी भए भेष धर मोहन, चले लली संग अति अकुलाते। एक हाथ को घूंघट करिहो ,घाघरो चोली बड्यो सुहाई। लली को झूलन आनंद बढावो, कियो न्यारौ प्रबंध सबनते। देखी नवी सखी जो मैय्या पूछी, हाल सबै कह सखियन सुनाई। बैठी हिंडोला लाडली लाली ,बारी बारी ते सखियन संगै।अब लौ दैखो बारी मोहनी ,बन्यौ श्यामसुन्दर कौ आई।मैय्या सौ सकुचा रह्यो मोहन ,भेद खुल्यौ न कही छूवत लाली सो। पहिलौ झोटौ दियो सखियन ने, अंग लली ते लाल मिलाई। बिसरन लागी जबै सुध बुध सब ,मधुमंगल ओर भृकुटी सखी तानी। झट दौडो मैय्या कू पकरयौ ,कहै भूख मोये लग आयी माई। सुन मुस्काये आवन की कह ,मैय्या जबै गई भवन सौ भीतर। कब सौ रौक राखी हसी निकरी ,सखियन लोट पोट हुयी जाई। आनंद प्रेम सौ डूबै रहै दोउ,आनंद सखियन हिय उर बरसौ। प्राण प्यारौ युगल छबि की ,सबै सखिया बार बार बलि जाई।
Palavras-chave:
 
shwetashweta
carregado por: shwetashweta

Avaliar esta fotografia:

  • Atualmente 4.7/5 estrelas.
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5

24 Votos.